गंगासागर मेला 2022 : भूले-भटको की खोज में बजरंग परिषद

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HnExpress सीताराम अग्रवाल, गंगासागर : कहावत सुप्रसिद्ध है- सब तीर्थ बार-बार, गंगासागर एक बार । पर यह शायद उस जमाने की बात है, जब यह यात्रा काफी दुर्गम हुआ करती थी। अब तो प. बंगाल सरकार तथा सैकड़ों स्वयंसेवी संस्थाओं व अन्यान्य लोगों ने मिल कर शनै:-शनै इस यात्रा को काफी सुगम बना दिया है। यही कारण है कि विश्व प्रसिद्ध इस तीर्थस्थल में हर वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है, जो देश के कोने- कोने से आते हैं। विदेशी भी काफी आते हैं और यह संख्या लाखों में होती है।

यह बात दीगर है कि कोरोना के कारण पिछले व इस वर्ष इस संख्या में काफी गिरावट आयी है। परन्तु संख्या चाहे जो हो, जहां इतना बड़ा जमावड़ा हो, वहां लोगों को अपने परिवार से बिछड़ने की संभावना बनी रहती है। विशेषकर तब जब इसमें गांव-देहात से आये अनपढ़ लोगों की संख्या अच्छी-खासी हो। बच्चे व बुढ़े जल्दी खो जाते हैं। रास्ता भटक जाते हैं। पर कोई बात नहीं। समस्या है तो समाधान भी होता है। शायद इसे ही भांप कर दशकों पहले बजरंग परिषद ने इसके समाधान का बीड़ा उठाया था, जिसे आज भी वह बखूबी निभा रही है।



गंगासागर में बिछड़ों को मिलाने का पुण्य कार्य कोलकाता की यह सामाजिक संस्था अपने निष्ठावान कार्यकर्ताओं व दानदाताओं के बल पर कर रही है। यही नहीं, बिछड़ों की खोज में आये लोगों के रहने व खाने-पीने का मानवीय कार्य भी यह संस्था करती है, जब तक उनके अपने परिजन मिल न जायें। वैसे इस वर्ष यात्रियों की संख्या बहुत नहीं है, फिर भी मकर संक्रांति तक कई भूले- भटकों को मिलाया गया है। वैसे इस बार राज्य सरकार ने भी एक नयी तकनीक के जरिये बच्चों तथा बूढ़ों को तलाशने की विधि निकाली है, पर हाई तकनीक के कारण उसे लोकप्रिय होने में समय लगेगा।

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