राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता देने की मांग
HnExpress सीताराम अग्रवाल, कोलकाता : राजस्थानी प्रचारिणी सभा व राजस्थान सूचना केंद्र के तत्वावधान में आज राजस्थान सूचना केंद्र में राजस्थानी भाषा दिवस मनाया गया। इस मौके पर मायड़ भाषा राजस्थानी को राजकीय और संवैधानिक मान्यता देने की पुरजोर मांग की गई। कार्यक्रम में सभा के अध्यक्ष रतन शाह ने कहा कि किसी भी समाज की पहचान उसकी भाषा है। पहचान तभी जिंदा है जब भाषा जिंदा है।
लेकिन सामाजिक उदासीनता और सरकारी लापरवाही के चलते राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिल सकी है। शाह ने मांग की कि राजस्थान सरकार राजस्थानी को राजकीय भाषा के रूप में तथा केंद्र सरकार संवैधानिक भाषा के रूप में मान्यता दे। शाह ने पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य में राजस्थानी अकादमी की स्थापना करने की मांग की। उन्होंने उम्मीद जताई कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधान सभा के अंतिम दिन भाषा को राजकीय भाषा की मान्यता अवश्य देंगें।
इस मौके पर राजेंद्र केडिया ने कहा कि राजस्थानी की पहचान खत्म होती जा रही है। जरूरी है कि हर कोई अपने व्यवहार में भाषा का प्रयोग करे। घनश्याम शोभासरिया ने कहा कि जो मारवाड़ी हिंदी या अंग्रेजी में बातें करते हैं, उन्हें भी अपनी भाषा में बातें करनी चाहिए। बंशीधर शर्मा ने कहा कि भाषा बहुत जरूरी है। यह समाज की पहचान है। भाषा समृद्ध तो समाज भी समृद्ध होगा।
राजस्थानी से निकली गुजराती समृद्ध हुई पर राजस्थानी नहीं, क्यों? ये सोचने की बात है। राजस्थान सूचना केंद्र के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाषा प्रेमी हैं। उन्होंने हाल ही में बजट में राजस्थानी के तीन मूर्धन्य विद्वानों पद्मश्री कन्हैया लाल सेठिया, पद्मश्री सीताराम लालस और पद्मश्री विजयदान देथा के नामों पर पुरस्कारों की घोषणा कर राजस्थानी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता दर्शायी है।
अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन के सचिव संजय हरलालका ने कहा कि हर कोई अपनी अपनी भाषा में समारोहों के कार्ड छपवाता है, केवल मारवाड़ी ऐसा नहीं करते, क्यों? पर भाषा को बचाने के लिए ऐसा करना अब जरूरी हो गया है । सभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रह्लाद राय गोयनका ने कहा कि राजस्थानी भाषा मारवाड़ी संस्कृति का मूल आधार है। अगर राजस्थानी भाषा खत्म होती है तो मारवाड़ी संस्कृति ही खत्म हो जाएगी।
भाषा को बचाने की जिम्मेवारी सबकी है। भाषा माता तुल्य है भाषा को सम्मान मिलना चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित शशि लाहोटी ने राजस्थानी में कविता पाठ किया। सभा के सचिव संदीप गर्ग ने धन्यवाद ज्ञापन किया । कार्यक्रम में बाल किशन खेतान, अजय अग्रवाल, राम मोहन लखोटिया समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।